Breaking News
पत्रकारों के लिए मुख्यमंत्री धामी की पहल — देहरादून में विशेष स्वास्थ्य कैम्प का आयोजन
पत्रकारों के लिए मुख्यमंत्री धामी की पहल — देहरादून में विशेष स्वास्थ्य कैम्प का आयोजन
मुख्यमंत्री धामी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से की मुलाकात
मुख्यमंत्री धामी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से की मुलाकात
उत्तराखंड में हवाई कनेक्टिविटी को मिलेगी रफ्तार
उत्तराखंड में हवाई कनेक्टिविटी को मिलेगी रफ्तार
खाने के बाद नहाना क्यों है नुकसानदायक? आइये जानते हैं इसके कारण
खाने के बाद नहाना क्यों है नुकसानदायक? आइये जानते हैं इसके कारण
नंदा राजजात यात्रा में यात्रा मार्ग पर दूरसंचार की व्यवस्थाओं के साथ डिजिटल ट्रेकिंग सिस्टम बनाया जाए- मुख्यमंत्री
नंदा राजजात यात्रा में यात्रा मार्ग पर दूरसंचार की व्यवस्थाओं के साथ डिजिटल ट्रेकिंग सिस्टम बनाया जाए- मुख्यमंत्री
हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में टॉप करने वाले विद्यार्थी एक दिन के लिए बनेंगे डीएम और एसपी
हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में टॉप करने वाले विद्यार्थी एक दिन के लिए बनेंगे डीएम और एसपी
“केवल 33% लोगों के लिए सरकार!” अग्निमित्रा पॉल का ममता बनर्जी पर बड़ा हमला
“केवल 33% लोगों के लिए सरकार!” अग्निमित्रा पॉल का ममता बनर्जी पर बड़ा हमला
उत्तराखण्ड को उच्च आय राज्य बनाने की दिशा में सार्थक पहल
उत्तराखण्ड को उच्च आय राज्य बनाने की दिशा में सार्थक पहल
एकल महिला स्वरोजगार योजना के लिए आवेदन 18 जून से शुरू- रेखा आर्या
एकल महिला स्वरोजगार योजना के लिए आवेदन 18 जून से शुरू- रेखा आर्या

‘बटेंगे तो कटेंगे’ के जवाब में छात्र आंदोलन का नया नारा – ‘न बटेंगे न हटेंगे’

‘बटेंगे तो कटेंगे’ के जवाब में छात्र आंदोलन का नया नारा – ‘न बटेंगे न हटेंगे’

उत्तर प्रदेश। योगी आदित्यनाथ के नारे ‘बटेंगे तो कटेंगे’ के तर्ज पर एक नया नारा सामने आया है – ‘न बटेंगे न हटेंगे’। यह नारा किसी राजनीतिक पार्टी का नहीं है, बल्कि यूपीपीसीएस, आरओ, एआरओ परीक्षाओं को लेकर छात्रों के आंदोलन से उभरा है। परीक्षा को लेकर हो रहे बदलावों और लगातार तारीखों में देरी के चलते छात्र सड़कों पर उतर आए हैं।

विधानसभा उपचुनाव पर पड़ सकता है असर
जहां एक ओर हजारों की संख्या में छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यूपी में 20 नवंबर को विधानसभा की 9 सीटों के उपचुनाव होने हैं। छात्रों के इस आंदोलन का असर उपचुनाव के नतीजों पर भी पड़ सकता है, क्योंकि इन विरोधों से युवा मतदाताओं की नाराजगी बढ़ रही है।

बार-बार स्थगित हो रही हैं परीक्षाएं
इस साल जनवरी में यूपीएससी ने नोटिफिकेशन जारी कर मार्च में परीक्षा की घोषणा की थी, जो पहले अक्टूबर और अब दिसंबर तक स्थगित की जा चुकी है। इसके अलावा, समीक्षा अधिकारी (आरओ) और सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) की परीक्षा 11 फरवरी को होनी थी, लेकिन पेपर लीक होने के चलते इसे भी आगे बढ़ा दिया गया था। लगातार स्थगन के कारण छात्रों में असंतोष बढ़ता जा रहा है।

छात्रों के आक्रोश की वजह
यूपीएससी ने घोषणा की है कि आरओ और एआरओ प्रारंभिक परीक्षाएं 22 और 23 दिसंबर को दो शिफ्ट में आयोजित होंगी। इस फैसले से छात्रों में आक्रोश है। उनका कहना है कि दो शिफ्ट में परीक्षा होने से नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया अपनाई जाएगी, जिससे दूसरी शिफ्ट के परीक्षार्थियों को अन्याय महसूस हो सकता है। छात्रों की मांग है कि परीक्षा एक ही शिफ्ट में हो ताकि किसी भी छात्र के साथ भेदभाव न हो।

यूपीएससी की चुनौती: परीक्षा केंद्रों की कमी
यूपीएससी का कहना है कि छह लाख उम्मीदवारों के लिए एक साथ परीक्षा आयोजित करने के लिए पर्याप्त परीक्षा केंद्र उपलब्ध नहीं हैं। इस कारण परीक्षा को दो शिफ्ट में कराने का निर्णय लिया गया है।

उपचुनाव परिणामों पर असर का अनुमान
प्रयागराज की इलाहाबाद यूनिवर्सिटी और पूर्वांचल के छात्रों की बड़ी संख्या इस परीक्षा की तैयारी में जुटी है। इससे पहले भी युवाओं को लगा कि सरकार उनके भविष्य को लेकर गंभीर नहीं है। इसी तरह की स्थिति 2019 के लोकसभा चुनाव में भी हुई थी, जब 60,000 पदों पर पुलिस भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी गई थी, जिससे सरकार को चुनाव में झटका लगा था। ऐसे में इस बार भी छात्रों का विरोध प्रदर्शन सरकार के लिए राजनीतिक चुनौतियां खड़ी कर सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top