Breaking News
नंदा राजजात यात्रा में यात्रा मार्ग पर दूरसंचार की व्यवस्थाओं के साथ डिजिटल ट्रेकिंग सिस्टम बनाया जाए- मुख्यमंत्री
नंदा राजजात यात्रा में यात्रा मार्ग पर दूरसंचार की व्यवस्थाओं के साथ डिजिटल ट्रेकिंग सिस्टम बनाया जाए- मुख्यमंत्री
हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में टॉप करने वाले विद्यार्थी एक दिन के लिए बनेंगे डीएम और एसपी
हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में टॉप करने वाले विद्यार्थी एक दिन के लिए बनेंगे डीएम और एसपी
“केवल 33% लोगों के लिए सरकार!” अग्निमित्रा पॉल का ममता बनर्जी पर बड़ा हमला
“केवल 33% लोगों के लिए सरकार!” अग्निमित्रा पॉल का ममता बनर्जी पर बड़ा हमला
उत्तराखण्ड को उच्च आय राज्य बनाने की दिशा में सार्थक पहल
उत्तराखण्ड को उच्च आय राज्य बनाने की दिशा में सार्थक पहल
एकल महिला स्वरोजगार योजना के लिए आवेदन 18 जून से शुरू- रेखा आर्या
एकल महिला स्वरोजगार योजना के लिए आवेदन 18 जून से शुरू- रेखा आर्या
देवभूमि उद्यमिता योजना से युवा बन रहे सफल उद्यमी
देवभूमि उद्यमिता योजना से युवा बन रहे सफल उद्यमी
मुख्यमंत्री धामी ने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से की मुलाकात
मुख्यमंत्री धामी ने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से की मुलाकात
देवभूमि की जनता ने UCC को दिल से अपनाया- मुख्यमंत्री धामी
देवभूमि की जनता ने UCC को दिल से अपनाया- मुख्यमंत्री धामी
प्रभास की ‘द राजा साब’ का धमाकेदार टीजर आउट, जबरदस्त विजुअल्स और डरावनी हवेली ने बढ़ाया एक्साइटमेंट
प्रभास की ‘द राजा साब’ का धमाकेदार टीजर आउट, जबरदस्त विजुअल्स और डरावनी हवेली ने बढ़ाया एक्साइटमेंट

किसान फिर सड़क पर

किसान फिर सड़क पर

किसान संगठन ‘दिल्ली चलो’ अभियान पर निकल पड़े हैं। इससे 2020 का नजारा फिर से सामने आ खड़ा हुआ है। तब आंदोलन से निपटने के सरकारी उपाय किसानों का हौसला तोडऩे में नाकाम रहे थे। क्या इस बार सरकार सफल होगी?

किसान संगठनों की मांगों का ना सिर्फ वर्तमान सत्ताधारी पार्टी, बल्कि आज की पूरी पॉलिटकल इकॉनमी के साथ तीखा अंतर्विरोध है। इसलिए इसमें कोई हैरत की बात नहीं कि चंडीगढ़ में तीन केंद्रीय मंत्रियों की टीम के साथ इन संगठनों की बातचीत नाकाम हो गई। दोनों पक्षों में सहमति सिर्फ तभी बन सकती है, जब उनमें से कोई अपने बुनियादी प्रस्थान बिंदु से हटने को तैयार हो। सरकार तो संभवत: तब तक ऐसा नहीं करेगी, जब तक किसान अपने आंदोलन को इतना बड़ा ना बना दें, जिसका असर सत्ताधारी दल की चुनावी संभावनाओं पर महसूस होने लगे। दूसरी तरफ सरकार की मौजूदा नीतियों से किसान और कृषि अर्थव्यवस्था जिस तरह बदहाल हो रहे हैं, उसके बीच इन संगठनों के पास भी लंबी लड़ाई लडऩे के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है। यही कारण है कि लगभग दो साल के अंतराल के बाद फिर एक बड़े किसान आंदोलन की शुरुआत हो गई है।

कई किसान संगठन मंगलवार को अपने ‘दिल्ली चलो’ अभियान पर निकल पड़े हैँ। इसके तहत हजारों किसान ट्रैक्टरों पर सवार होकर दिल्ली आने की तैयारी में हैं। इस बीच 16 फरवरी को किसान संगठन देश भर में ग्रामीण बंद का आयोजन करेंगे। उस रोज ट्रेड यूनियनें भी उनकी इस लड़ाई में शामिल होंगी। दस ट्रेड यूनियनों ने उस दिन हड़ताल पर जाने का एलान किया है। इस बीच दिल्ली प्रशासन ने किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोकने के लिए कई उपाय किए हैं। दिल्ली की सभी सीमाओं पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती गई है। सडक़ों पर सीमेंट के बैरिकेड, कंटीली तारें और नुकीले उपकरणों को लगा दिया गया है। दिल्ली में एक महीने के लिए धारा 144 लागू कर दी गई है, जिसके तहत किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन, जुलूस या यात्रा निकलना प्रतिबंधित कर दिया गया है। हरियाणा सरकार ने अलग से ऐसे उपाय किए हैं, जिससे किसानों को दिल्ली पहुंचने के पहले ही रोक दिया जाए। यानी 2020 का नजारा फिर से सामने आ खड़ा हुआ है। लेकिन तब ऐसे उपाय किसानों का हौसला तोडऩे में नाकाम रहे थे। क्या इस बार सरकार सफल होगी?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top