Breaking News
“केवल 33% लोगों के लिए सरकार!” अग्निमित्रा पॉल का ममता बनर्जी पर बड़ा हमला
“केवल 33% लोगों के लिए सरकार!” अग्निमित्रा पॉल का ममता बनर्जी पर बड़ा हमला
उत्तराखण्ड को उच्च आय राज्य बनाने की दिशा में सार्थक पहल
उत्तराखण्ड को उच्च आय राज्य बनाने की दिशा में सार्थक पहल
एकल महिला स्वरोजगार योजना के लिए आवेदन 18 जून से शुरू- रेखा आर्या
एकल महिला स्वरोजगार योजना के लिए आवेदन 18 जून से शुरू- रेखा आर्या
देवभूमि उद्यमिता योजना से युवा बन रहे सफल उद्यमी
देवभूमि उद्यमिता योजना से युवा बन रहे सफल उद्यमी
मुख्यमंत्री धामी ने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से की मुलाकात
मुख्यमंत्री धामी ने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से की मुलाकात
देवभूमि की जनता ने UCC को दिल से अपनाया- मुख्यमंत्री धामी
देवभूमि की जनता ने UCC को दिल से अपनाया- मुख्यमंत्री धामी
प्रभास की ‘द राजा साब’ का धमाकेदार टीजर आउट, जबरदस्त विजुअल्स और डरावनी हवेली ने बढ़ाया एक्साइटमेंट
प्रभास की ‘द राजा साब’ का धमाकेदार टीजर आउट, जबरदस्त विजुअल्स और डरावनी हवेली ने बढ़ाया एक्साइटमेंट
उत्तराखण्ड में पत्रकारों और उनके परिजनों के लिए मुख्यमंत्री धामी की बड़ी पहल
उत्तराखण्ड में पत्रकारों और उनके परिजनों के लिए मुख्यमंत्री धामी की बड़ी पहल
आंगनबाड़ी केंद्रों पर नियमित रूप से होगा योग- रेखा आर्या
आंगनबाड़ी केंद्रों पर नियमित रूप से होगा योग- रेखा आर्या

उत्तराखंड कैबिनेट ने सड़क सुरक्षा नीति के प्रस्ताव को दी मंजूरी 

उत्तराखंड कैबिनेट ने सड़क सुरक्षा नीति के प्रस्ताव को दी मंजूरी 

19 विभागों की जिम्मेदारी की गई तय 

सड़क किनारे किया जाएगा पौधारोपण 

सड़क हादसे रोकने के लिए सड़क सुरक्षा नीति के प्रस्ताव को दी गई मंजूरी 

स्कूलों में बच्चों को कक्षा एक से पढ़ाई जाएगी सड़क सुरक्षा 

देहरादून। प्रदेश में सड़क हादसे रोकने के लिए पर्वतीय मार्गों पर सड़क किनारे पाैधराेपण किया जाएगा। नई सड़क सुरक्षा नीति में जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया गया है। स्कूलों में बच्चों को कक्षा एक से सड़क सुरक्षा पढ़ाई जाएगी। कॉलेज से लेकर आमजन तक जागरूकता के कार्यक्रमों पर भी जोर दिया गया है।

किस विभाग को क्या जिम्मेदारी

शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा विभाग : प्रारंभिक कक्षाओं से ही सड़क सुरक्षा की शिक्षा, पाठ्यक्रम अपडेशन, शिक्षक, अभिभावकों, स्कूल बस, स्कूल वैन संचालकों, शिक्षा विभाग के अफसरों को जागरूक करना। एनएसएस, स्काउट गाइड व एनसीसी कैडेट्स को सड़क सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित करना। उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा विभाग सभी छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों को सड़क सुरक्षा जागृति कार्यक्रमों से जोड़ना।

लोनिवि, एनएचएआई, बीआरओ, सिंचाई विभाग: ग्रामीण व शहरी सड़कों का डिजाइन सुरक्षा, निर्माण के समय पैदल यात्रियों, अक्षम व्यक्तियों, दिव्यांगों व बच्चों के सुरक्षित चालन का ध्यान रखना। देश-विदेश में नगर नियोजकों, वास्तुविदों, यातायात इंजीनियरिंग के श्रेष्ठ मॉडल को देखकर राज्य की स्थिति के हिसाब से उपयोग करना। पर्वतीय मार्गों पर क्रैश बैरियर, ब्लैक स्पॉट व दुर्घटना संभावित क्षेत्रों का त्वरित सुधार, सड़कों पर खोदाई, गड्ढे करने, सड़क किनारे भवन निर्माण सामग्री के भंडारण को लेकर लोनिवि को गाइडलाइन तैयार करनी होगी।

स्वास्थ्य विभाग: चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों को दुर्घटनाओं के उपचार के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित करना, गोल्डन आवर का महत्व समझाना, एयर एंबुलेंस सेवा तंत्र को शामिल करते हुए आपातकालीन सेवाओं को मजबूत करना, नेशनल हाईवे व स्टेट हाईवे के साथ लगने वाले अस्पताल व ट्रामा केंद्रों को संपन्न करना, प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी परिवहन व पुलिस के सहयोग से फर्स्ट रिस्पांडर तक पहुंचाना, केंद्र की योजना के तहत दुर्घटना के घायलों को निशुल्क कैशलेस उपचार देना।

परिवहन विभाग : प्रवर्तन मजबूत करना। नेशनल, स्टेट हाईवे पर पेट्रोलिंग बढ़ाना, वाहन चालन कौशल में सुधार को लाइसेंसिंग प्रणाली को सशक्त व एआई का इस्तेमाल करना। भारी वाहन चालकों के लिए विशेष प्रशिक्षण, हल्के वाहन चालकों के लिए रिफ्रेशर कोर्स शुरू करना। डीएल के लिए प्राथमिक चिकित्सा की योग्यता अनिवार्य होगी। समान श्रेणी के अपराध करने वालों पर कठोर कार्रवाई व काउंसिलिंग करना। वाहनों की फिटनेस जांच करना। प्रवर्तन को विस्तार देते हुए इलेक्ट्रॉनिक इंफोर्समेंट डिवाइस का प्रयोग करना। एकीकृत नगरीय परिवहन प्रणाली विकसित करना। इंटेलीजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम को प्रोत्साहित करना। दुर्घटना प्रभावितों को राहत राशि वितरित करना।

आपदा प्रबंधन विभाग: दुर्घटना की तत्काल सूचना पुलिस व चिकित्सा विभाग को देना। राहत व बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ या एसडीआरएफ को सक्रिय करना।

पुलिस : यातायात नियंत्रण के लिए आधुनिक तकनीकी का प्रयोग करते हुए कठोर कार्रवाई व फेसलैस चालान करना। दुर्घटनाओं के कारण व विश्लेषण के लिए एकीकृत सड़क दुर्घटना डाटाबेस को मजबूत करना। प्रशिक्षण देना। ट्रैफिक स्वयंसेवक, जूनियर ट्रैफिक फोर्स, ट्रैफिक वार्डन व एनसीसी कैडेट्स को प्रशिक्षित करना। विभिन्न अकादमिक व अनुसंधान संस्थाओं में यातायात सुरक्षा पर सम्मेलन आयोजित करना। सामुदायिक भागीदारी विकसित करने के लिए सड़क सुरक्षा आउटरीच कार्यक्रम चलाना। जागरूकता कार्यक्रम करना।

आवास, शहरी विकास एवं स्थानीय निकाय : सड़क किनारे का अतिक्रमण हटाना। ऐसे होर्डिंग व वस्तुएं हटाना जो वाहन संचालन के समय चालक की एकाग्रता को भंग करते हों। पैदल यात्रियों के सुगम संचरण के लिए फुटपाथ का अतिक्रमण हटाना। नगरीय क्षेत्रों में पार्किंग बनाना। आवारा पशुओं से दुर्घटना रोकने के लिए पशुशालाएं बनाना। उचित स्थानों पर सड़क संकेत चिन्ह्, रोड मार्किंग, स्ट्रीट लाइट लगाना।

वन विभाग : वन्य जीवनों व सड़क यातायात प्रवाह के संघर्ष को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाना। वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्रों में वाहनों की गति पर नियंत्रण के उपाय करना। वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए सूचना संकेतक लगाना। पर्वतीय मार्गों पर दुर्घटनाएं रोकने के लिए सड़क किनारे वृक्षारोपण करना।

अन्य विभागों की जिम्मेदारी : आबकारी विभाग शराब पीकर वाहन संचालन को हतोत्साहित करेगा। जिला प्रशासन हिट एंड रन मामले के तहत प्रभावितों को समयबद्ध आर्थिक सहायता देने के साथ ही जिला सड़क सुरक्षा समितियों के माध्यम से सड़क सुरक्षा उपाय करेगा। ऊर्जा विभाग सड़क किनारे स्थित बिजली के खंभों, ट्रांसफार्मर को इस प्रकार व्यवस्थित करेगा ताकि दुर्घटना न हो। पर्यटन विभाग पर्यटकों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करेगा। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग रात्रि में आवश्यक वस्तुओं के वाहनों के परिवहन को लेकर पुलिस व जिला प्रशासन से समन्वय बनाएगा।

हादसे में सहायता राशि की परिभाषा बदली
2016 की नियमावली में मृत्यु व स्थायी विकलांगता पर 50,000 रुपये, गंभीर चोट पर 20,000 रुपये, अन्य मामूली चोट पर 5000 रुपये राहत राशि का प्रावधान किया गया था। राहत राशि में इस दौरान बदलाव तो हो गया लेकिन घायलों की परिभाषा 2016 की नीति के हिसाब से ही थी। अब नई सड़क सुरक्षा नीति में इसे नए सिरे से परिभाषित किया गया है। अब दुर्घटना में यात्री या अन्य व्यक्ति की मृत्यु होने पर 2,00,000 रुपये, गंभीर घायल होने की स्थिति में दोनों अंगों की पूर्ण हानि या दोनों नेत्रों की दृष्टि की पूर्ण हानि होने पर 1,00,000 रुपये, दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने जैसे टखने से ऊपर एक पैर की हानि, एक नेत्र की हानि, दोनों कानों को सुनने की हानि, दाहिनी कलाई या एक भुजा की हानि, घायल व्यक्तियों के 20 या अधिक दिन तक चिकित्सालय में इलाज के लिए भर्ती होने पर 40,000 रुपये और सामान्य रूप से घायल होने की स्थिति में 10,000 रुपये की राहत राशि दी जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top